मिर्जा-साहिबा की प्रेम कहानी - Mirza Sahiba Story in Hindi


इस कहानी की शुरुआत होती है पंजाब से. देखा जाए तो पंजाब की धरती कई प्रेम कहानियों की जन्मदाता है. जिसमें से मिर्जा-साहिबा की प्रेम कहानी भी एक है. इस मोहब्बत की दास्तान की शुरुआत होती है मिर्जा और साहिबा की बचपन मैं दोस्ती से. यही दोस्ती कब प्यार में बदल गई किसी को नहीं पता चला. दोनों एक ही मदरसे में पढ़ते थे. दोनों के अंदर इश्क का कीड़ा कब पनपा और यह कीड़ा जुनून में कब तब्दील हो गया कोई नहीं जानता.
 लेकिन कहते हैं! कि 'इश्क और मुश्क छुपाए नहीं छुपते'. धीरे-धीरे Mirza Sahiba की प्रेम कहानी के चर्चे हर गली मोहल्ले में होने लगे. जब मिर्ज़ा साहिबा के इश्क की खबर साहिबा के घरवालों को पता चली तो उन्होंने मिर्जा को गांव से भगा दिया और साहिबा की शादी किसी और व्यक्ति के साथ तय कर दी. जब यह बात मिर्जा को पता चली तो मिर्जा साहिबा को शादी वाले दिन ही भगा ले गया.

क्या साहिबा ने दिया था मिर्ज़ा को धोखा?-


इतिहासकारों की मानें तो बताया जाता है कि मिर्ज़ा उस समय तीरंदाजी का अर्जुन माना जाता था. लोक कथाओं के अनुसार मिर्जा किसी को भी एक तीर के माध्यम से मारने की काबिलियत रखता था. साहिबा भी मिर्जा की इस काबिलियत से अच्छी तरह वाकिफ थी. Mirza Sahiba की प्रेम कहानी में कई साहित्यकारों ने साहिबा को धोखेबाज बताया है.

 दरअसल साहिबा जब मिर्जा के साथ भाग रही थी, तो  दोनों भागते-भागते काफी थक चुके थे. इसीलिए मिर्जा ने आराम करने का फैसला किया. साहिबा को पता था कि अगर उसके भाई यहां उसे ढूंढते ढूंढते हुए आए तो मिर्जा उन्हें मार देगा. इसीलिए साहिबा ने अपने भाइयों को बचाने के लिए मिर्जा के सारे तीर तोड़ दिए.

जब साहिबा के भाई उन्हें ढूंढते हुए उस जगह पहुंचे, जहां मिर्जा और साहिबा आराम कर रहे थे. तब साहिबा के भाइयों ने मिर्जा की तरफ तीर चलाना शुरू कर दिये. जब मिर्ज़ा को पता चला कि साहिबा के भाई उसे मारने के लिए आए हैं, तो उसने भी अपने तीर कमान को उठाया. जब मिर्जा ने तीरों को देखा तो मिर्जा को सारे तीर टूटे हुए पाए. मिर्जा को समझते हुए देर न लगी, कि साहिबा ने तीरो को क्यों तोड़ा हैं. लेकिन फिर भी मिर्जा ने साहिबा को माफ कर दिया.



मिर्जा साहिबा की प्रेम कहानी के अंत के बारे में इतिहासकारों की दो मत हैं! एक मत के अनुसार बताया जाता है कि-- "जब साहिबा के भाई मिर्जा की तरफ तीर दाग रहे थे तो साहिबा उसके बीच में आकर उन तीरो को खुद पर बार लेती थी. इस तरह साहिबा का शरीर तीरों से छलनी हो गया. मिर्जा यह देख कर दुखी हो गया और उसने साहिबा को हटाकर तीर अपने सीने पर ले लिए और दोनों की जीवन लीला वही समाप्त हो गई".

 दूसरी कहानी के अनुसार-- "मिर्जा ने मरते समय साहिबा से वचन ले लिया था कि वह जिंदा रह कर शादी करेगी और खुशी से अपना जीवन जियेगी. इस कहानी में बताया जाता है कि मिर्जा की शादी हुई थी, और उसके बच्चे भी हुए थे. लेकिन वह अंत तक प्यार मिर्जा से ही करती रही. वह अपने पति में मिर्जा को देखती थी. लोकगीतों में मिर्जा की कहानी के अंश आपको सुनने को मिल जाएंगे.
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